Friday 4 January 2013

Small Poetry

I would like to start with a small poem...  Hope u will like it

आज बरसो बाद कलम उठाने का जी करता है,कुछ लकीरों के अक्षर से पन्नोको सजानेका जी करता है,कुछ दिल मैं उभरती आशाओं को पंख लगाने का अब जी करता है,कुछ ताज़ी खुशबुओं को इन् हवाओं मैं फ़ैलाने का  जी करता है,कुछ भूली बिसरी कल्पनाओं को छांटने का जी करता है,आज फिर  बरसो बाद कलम उठाने का जी करता है।


किसी अजब दीवनगी मे  खुदको भुलाने का जी करता है,फिरसे कुछ काँटों  को फूल मैं बदलने का जी करता है,कुछ धुंधली निशानियों से एक नयी तस्वीर बनाने का जी करता है,कुछ अपने दर्द को स्याही से जोधने का अब जी करता है,आज फिर  बरसो बाद कलम उठाने का जी करता है,



 

No comments:

Post a Comment